बसेड़ा की डायरी, 25 जनवरी 2022 छब्बीस जनवरी के एक दिन पहले स्कूल से कपड़े धोने और नहाने लिए मिली आधी छुट्टी की आभा खाली सरकारी स्कूल के टाबर-ट...
कल बच्चे खेलेंगे तो हम ठीक से अपने बचपने में लौट सकेंगे।
बसेड़ा की डायरी, 13 जनवरी 2022 जाना और भीतर से गुना तो काम बढ़ गया ऐसी अनुभूति हुई। विद्यार्थियों को ज़िन्दगी देना और मानव बनाना बड़ा काम है। अ...
जन-कथाकार रत्नकुमार सांभरिया जी का जन्मदिन
बसेड़ा की डायरी, 6 जनवरी 2022 दो दिन पहले ही ध्यान में आया और आज जन-कथाकार रत्नकुमार सांभरिया जी का जन्मदिन उन्हीं की एक कहानी का पाठ करक...
विचार की टाटी खुली तो मंथन संभव हुआ है।
14 नवम्बर 2021 बसेड़ा की डायरी विचार की टाटी खुली तो मंथन संभव हुआ है। बाड़ाबंदी से दम घुटता है अब। जान गया हूँ कि उस पार हिलोरती नदी बाँह...
शुक्रिया प्रवीण कि तुम्हारे आने से
9 नवम्बर 2021, बसेड़ा की डायरी यह दो राग का मिलनबिंदु है। राग प्रवीण और राग माणिक। भारतीय जीवन शैली में इन्हें आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने...
बेतरतीब दिनों को करीने से लगाने की असफल कोशिशों के बीच
7 नवम्बर 2021 बसेड़ा की डायरी बेतरतीब दिनों को करीने से लगाने की असफल कोशिशों के बीच बना हुआ हूँ। गूँथने वाली नुवार का पुराना पलंग था जिस...
बसेड़ा की डायरी : तमाम चिंताओं के बीच भी काम जारी है।
बसेड़ा की डायरी , 27 जून 2021 मोहल्ले में आज प्रखर का जन्मदिन है। हमारे घर के ठीक सामने वाले भैया-भाभी का लड़का। गोवर्धन भैया और गायत्री भाभ...
बसेड़ा की डायरी : चार भाई-बहन के बीच एक मोबाइल है।
बसेड़ा की डायरी, 20 जून 2021 कोरोना के मारे हुए स्कूल खुलूँ-खुलूँ करते हुए सात जून को खुल तो गए पर वेंटिलेटर के मरीज की तरह अभी तबियत पूरी ...