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21 जुलाई, 2015
'रेतपथ' के 3-5 अंक में प्रकाशित कुछ कविताएँ

'रेतपथ' के 3-5 अंक में प्रकाशित कुछ कविताएँ

मंगलवार, जुलाई 21, 2015

कच्चेपन में कविताएँ लिखने के बाद कविताएँ रख दी है भक्कारे और परेण्डे से उतरे हांडे में पकने को कुछ दिन आम और सीताफल पकाने...

22 मई, 2015
'मंतव्य'-3 पत्रिका में प्रकाशित कविता

'मंतव्य'-3 पत्रिका में प्रकाशित कविता

शुक्रवार, मई 22, 2015

हमारे दोस्त और युवा कहानीकार हरेप्रकाश उपाध्याय के सम्पादकत्व में प्रकाशित पत्रिका 'मंतव्य' के तीसरे अंक में मेरी भी एक कविता आ...

25 नवंबर, 2014
'उम्मीद' पत्रिका के चौथे अंक में छपी दो कविताएँ

'उम्मीद' पत्रिका के चौथे अंक में छपी दो कविताएँ

मंगलवार, नवंबर 25, 2014

अरसा हो गया  अरसा हो गया है ठीक से मुस्कराए जी-भर हँसे किसी बच्चे से बतियाते हुए तुतलाए,हकलाए यादों में इत्मीनान से लौटे हुए अरसा...

28 जुलाई, 2014
'यात्रा' पत्रिका के आठवें अंक में दो कवितायेँ

'यात्रा' पत्रिका के आठवें अंक में दो कवितायेँ

सोमवार, जुलाई 28, 2014

हदें पार करना नहीं आता उन्हें हदें पार करना नहीं आता उन्हें तुम्हारी तरह लूटने-खसोटने सहित बदन नोचना उन्हें नहीं आता जितना जिय...

21 जनवरी, 2014
'परिकथा' पत्रिका के नवलेखन अंक(January-February 2014) में छपी अपनी कविताएँ

'परिकथा' पत्रिका के नवलेखन अंक(January-February 2014) में छपी अपनी कविताएँ

मंगलवार, जनवरी 21, 2014

माणिक  वक़्त   का   धुंधलका लोक   के   आकाश   पर अब   सांझियाँ   कहाँ   सजती   है फूल - गोबर   से आँगन   की   दीवार   से ...

22 दिसंबर, 2013
कोहरे में कवितायेँ

कोहरे में कवितायेँ

रविवार, दिसंबर 22, 2013

चित्रकार:अमित कल्ला,जयपुर   (1 ) कोहरा छँटने के इंतज़ार में  यह छियासठवाँ साल है मालुम है कोई सूरज/वूरज नहीं उगेगा हमारी बस्ती को ...

11 दिसंबर, 2013
'कृति ओर' के जनवरी-मार्च 2014 अंक में छपी कविता

'कृति ओर' के जनवरी-मार्च 2014 अंक में छपी कविता

बुधवार, दिसंबर 11, 2013

गुरूघंटाल बिना दाड़ी बढ़ाए पहने बिना भगवा ,श्वेत या फिर कुछ और बेढंगा लिबास बिना भंडारा किए गले में सतरंगी मालाएं अटकाने हाथ फेरने ...

16 अक्टूबर, 2013
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''कौशिकी'' पत्रिका में कविताएँ

बुधवार, अक्टूबर 16, 2013

आदिवासी-आठ  हदें पार करना नहीं आता उन्हें तुम्हारी तरह लूटने-खसोटने सहित बदन नोचना उन्हें नहीं आता जितना जिया जीवन उन्होंने सीमाओं...

07 अगस्त, 2013
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'विधान केसरी' के परिशिष्ट में छपी अपुन की एक कविता

बुधवार, अगस्त 07, 2013

(1 )इतनी आसानी तो कभी नहीं थी ? इस दौर में आसान हो गया है रिश्तों के रेतने की तरह बेमतलब की कविता करना इससे भी सरल कुकविताओं का छप ...

16 जुलाई, 2013
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कुछ नयी कवितायेँ-24

मंगलवार, जुलाई 16, 2013

(1) बचा हुआ  बचा हुआ रहना अच्छा लगता है पीहर जाते वक़्त उसका रह जाना कुछ मेरे पास फाके के दिनों में बरनी में बचे अचार की तरह निहा...

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कुछ नयी कवितायेँ-23

मंगलवार, जुलाई 16, 2013

(1 ) खून-खराबा और लूट-खसोट देखने से बच गया असल में देर से आया अखबार आज सवेरे ( 2) अकाम बतियाने-मुस्कराने वाले  वे लोग कहाँ हैं मर ...

08 जुलाई, 2013
'मधुमती' में हमारी दो कवितायेँ

'मधुमती' में हमारी दो कवितायेँ

सोमवार, जुलाई 08, 2013

खबर अच्छी है या बुरी इस बात का  अंदाजा लगाना आपके जिम्मे। खबर ये कि मेरी दो 'कवितायेँ'  राजस्थान साहित्य  अकादमी की मुख...

 
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