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16 जुलाई, 2013

कुछ नयी कवितायेँ-23

(1 )
खून-खराबा और लूट-खसोट देखने से बच गया
असल में
देर से आया अखबार
आज सवेरे

( 2)
अकाम बतियाने-मुस्कराने वाले 
वे लोग कहाँ हैं
मर गए
मार दिए गए 
यूं कैसे हो गए 
एकाएक लुप्त

(3)
वे सभी 
इस बार भी परीक्षा में 
अव्वल आये हैं 
टोटके 
सब किये होंगे 
इस बार भी पास होने को
 
माणिक 
अध्यापक 
 
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