- कठपुतलियों के जरिये प्रकृति की पीड़ा का स्पंदन
- स्पिक मैके विरासतः पंद्रहवीं शताब्दी के नृत्य ने मन मोह लिया
- बिरहा संगीत को नई ऊंचाई दिया था राम कैलाश यादव ने
- ''बिरहा गायन का एक लोकप्रिय स्वर जाता रहा और आहट तक नहीं हुई।''
- जानवरों के लिए चैनल है, संगीत के लिए नही- पं.विश्व मोहन भट्ट
- सपना साकार, पालिथीन पर रोक
- महाराजा ने रची फुटपाथ की कविता
- आदिवासियों के लिए साईकिल पर भारत यात्रा पर निकले हिमांशु कुमार
- सच्चाई और पीड़ा को सीने से लगाता नंदी
- छपाक-छपाक का अर्थात्
- वर्ण व्यवस्था ही सब मुश्किलों की झड है.-डॉ. व्यास
- अगर ये दलित नहीं होते तो पूरा गांव सड़ जाता
- मधुमती पत्रिका जुलाई-2013 अंक में दो कवितायेँ
- 'शोध दिशा' के फेसबुक कविता विशेषांक में छपी कवितायेँ
- 'उम्मीद' पत्रिका के चौथे अंक में छपी दो कविताएँ
- 'यात्रा' पत्रिका के आठवें अंक में दो कवितायेँ
- 'परिकथा' पत्रिका के नवलेखन अंक(January-February 2014) में छपी अपनी कविताएँ
- 'कृति ओर' के जनवरी-मार्च 2014 अंक में छपी कविता
- ''कौशिकी'' पत्रिका में कविताएँ
- 'विधान केसरी' के परिशिष्ट में छपी अपुन की एक कविता
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें