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15 अक्टूबर, 2012

कविता-शब्द

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कविता-शब्द

कुछ शब्द
अपने अर्थों
अनुवादों सहित
अपने गलत अनुमानों के
खामियाजे के हित खड़े हैं
क्षतिपूर्ति दावे
लिए हाथों में
गवाहों के हाथ
कट्ठे थामे
कुछ शब्द 

वक़्त की अदालत
में
न्याय की गुहार
लपेटे गलों को
खंगालते हुए 
चिल्लाते
कुछ शब्द
अपनी जिरह की
बारी ताकते
तमतमाते ललाट लिए
बाट जोहते हुए 
कुछ शब्द

उम्र के एक पड़ाव पर
अपने अर्थों को लेकर
कुछ अतिरिक्त सख्त
और होशियार होते
कुछ शब्द
समय के हिसाब में
पर्याप्त चालाकी
लिए कांख में
दबाए हथकंडे तमाम
लिए दिमाग में 
कुछ शब्द 

अब आखिर में 
बिफरते हुए
कुछ शब्द 
बेख़ौफ़ ज़ुबानों को
लेते हुए आड़े हाथों
उन गैर ज़रूरी अठखेलियों को
कोस रहे हैं
पूरी ताकत से
कुछ शब्द

तथाकथित शब्दकारों
की फेंट पकड़ने का साहस लिए
कुछ शब्द लड़ते हुए 
अपने हिस्से की ज़मीन
छुड़ा रहे हैं 
आग उगलते
संवादों के दम पर 
कुछ शब्द

(एक कविता जो प्रिंट माध्यम की किसी एक पत्रिका को भेजने से ज्यादा मैं इसे यहाँ छापना पसंद करता हूँ।-माणिक )

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