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मुझे पिछले महीनों मध्य प्रदेश के होशंगाबाद शहर जाने का मौक़ा मिला वहाँ साहित्यकार मित्र अशोक जमनानी के सहयोग से वहाँ की पवित्र नदी नर्मदा के दर्शन का लाभ उठा पाया ,उसके किनारे पर घाटों का सफ़र करके जीवन के कुछ पल मैंने अपने लिए बिताये.ये पल मैं कभी नहीं भूल पाउँगा.देश की पवित्र नदियों के किनारे बसे शहर और वहाँ के वासियों के अनूठा आशीर्वाद दिया है ईश्वर ने ,और भी अगर वे इस बात को सही मायने में समझ पायें तो ही ये बात मायने रखेगी.कुछ तस्वीरें वहाँ की
(यहाँ नदी वाले फोटो नर्मदा नदी के हैं,चट्टान वाले फोटो आदमगढ़ पुरातत्व स्थल के हैं.और नाव वाले बान्द्राबांद के हैं.)
15 जून, 2010
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।
आपको और अशोक जी को मेरा नमस्कार...
जवाब देंहटाएंहोशंगाबाद में नर्मदाजी ऐसे बहती हैं कि पहले बार देखेंगे तो आपका
मन मोह लेंगी....होशंगाबाद की सबसे ऊंची चट्टान पर खड़े होकर
मां नर्मदा को देखना मेरी स्थायी स्मृति बन गया है...2 साल होने को
आए लेकिन अब तक वो शानदार अनुभव आंखों के सामने है...खैर,
आप भाग्यशाली हैं कि आपको होशंगाबाद घुमाने के लिए अशोकजी साथ
थे. मैंने उनके को अहम् और बूढ़ी डायरी उपन्यास पढ़े हैं और उनके अंदाज़ और अपनी माटी से लगाव से बेहद प्रभावित हूं. आशा है आपको
होशंगाबाद पसंद आया होगा....
मनोरम ....रमणीक......आपके ब्लाग पर होसंगाबाद के चित्र देखकर दशकों पूर्व की गई यात्रा की यादें ताजी हो गयीं।
जवाब देंहटाएंसद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी