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25 जनवरी, 2012

25-01-12

आज की तारीख का बहुतों को इंतज़ार रहता है. क्योंकि आज के दिन गणतंत्र दिवस पर दिए जाने वाले अवार्डों की लिस्ट जारी होती है.सभी अपने-अपने जुगाड़ की मज़बूती को परखते हैं. बिरले ही होते हैं जिन्हें उनकी योग्यता के बूते नवाज़ा जाता है.ये तो उनका मन ही जानता होगा, इनाम पाने को कितने देवरे धोकने पड़े. बहरहाल ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं.मैं भी इसलिए ये बक रहा हूँ क्योंकि अब तक मुझे कोई बड़ा अवार्ड नहीं मिला.जुगाड़ने की कला मेरे बस की है नहीं,फिर क्या, घर बैठे बातें तो मैं बना ही सकता हूँ.

पहले घर की बात कर लूं. चित्तौड़ शहर के गणतंत्र पर सम्मानित होने वाले साथी:-बीते एक साल से पग पछाटने के बाद जिंक नगर के इम्पीरियल क्लब के सक्रीय सेवक जी.एन.एस.चौहान को आखिर अवार्ड मिल गया,मुझे अतिरिक्त खुशी हुई चलो उनकी मेहनत काम आई.मिलने वालों में हमारे बड़े भैया हरीश लड्डा भे शामिल थे जो जिला कोषाधिकारी नहीं भी होते तो भी एक योग्य युवा और उत्सवधर्मी होने के नाते उन्हें इस सूची में शामिल होना ही था.हरीश जी के कोलेज के ज़माने के वाद-विवाद के मंच पर उनके वाक् कौशल के जलवे सुने थे. कई बार खुद भी बाद के सालों में उनके सावर्जनिक जीवन में सुना भी. खैर उन्हें ज्यादा करीब से उनके लंगोटिया ही बयान सकते हैं.दो पत्रकार साथी और अग्रज पवन पटवारी औए भुवनेश व्यास को बहुत लम्बे अरसे बाद ये सम्मान मिल रहा है मेरे जानकारी में तो बहुत रसा बीत गया है. वे इस इलाके में सालों से सक्रीय है फिर ईनामने में इतनी देर क्यों ?.खैर इस बात पर कोई टिक्का टिप्पणी नहीं.मगर हाँ जानकर आश्चर्य हुआ.

अब बड़े लेवल की बातें:हमारे देश के पद्म सम्मानों की घोषणा में हमारे कई और भी परिचित सूचि में जगह पा गए.ऐसी बात है, कुछ को हमने देखा-परखा,जाना,सुना है कुछ को रेडियो पर बजाया है.कुछ की कृतियाँ घरों और ऑफिसों में सजाई है.मतलब हमारी पहचान स्थानीय लेवल से बहुत ऊंचे तक है, ये बात तो यहीं साफ़ हो गयी.इस साल के पद्मश्री में हमारे गुरूजी  जो मोलेला आर्ट के काम में रत राजसमन्द जिले के मोलेला गाँव से हैं जिनके बेटे दिनेशचन्द्र ने बस एक अर्जी जिला कलेक्टर को लगाई ,इनाम पक्का हो गया,कोई जुगाड़ नहीं.मतलब मोहन लाल जी का काम ही पूरे देश में इतना चढ़ कर बोल रहा था.चाहे उदयपुर का रेलवे स्टेशन हो या फिर दिल्ली मेट्रो स्टेशन.

लंगा मांगनियारों  के सौ के करीब आयोजन मैंने बीते सालों में कराए. कभी शाकर खान मांगनियार से नहीं मिल पाया,आज उन्हें पदमश्री मिलने का एलान दिल खुश कर गया.ये लोग बड़े दिल से गाते हैं.जिनका सितार कई बार सुना ऐसे उस्ताद शाहिद परवेज,जिनके गीत रेडियो पर सुनाने में फक्र का अनुभव होता है ऐसे भूपेन हजारिका(पद्म विभूषण),अनूप जलोटा(पद्म श्री ) भी इसी लिस्ट के हिस्से है जो लिस्ट का भी मान बढ़ाते हैं.उस्ताद  जिया फरीदुद्दीन डागर साहेब की कई बार सजीव आयोजनों में सुना-गुना,और तो और जिनके सानिध्य में नाद योग किया उन्हें अब जाकर पद्मश्री मिल रहा है ताजुब्ब तो होता है.इस क्रम में ध्रुपद के एक और उम्दा जोड़ी उमाकांत-रमाकांत गुंदेचा को पाकर भी दिल खुश हुआ है.भले ही उन्हें सालों पहले भीलवाड़ा में सुनने गया था आज भी वही सुर सुनाई देते हैं.चलो आज की डायरी यहीं पूरते हैं.थोड़ा जी लें फिर उस जीए को लिखेंगे.

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