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23 मार्च, 2012

23-03-2012

भारतीय नव वर्ष कहे जाने वाले 2069 की शुरुआत के आसपास के दिन,चारों तरफ उत्सवी माहौल,मिश्री,नीम के प्रसाद के साथ ललाट पर कुमकुम लगाते कुछ अति उत्साही हुजूम.मोबाईल,इंटरनेट से लेकर मुंह ज़बानी हर तरफ शुभकामनाओं के लकदक पेड़.इसी बीच चुपचाप गुज़रता हुआ शहीद दिवस.आज के इस उत्सवी आदमी को शहीद भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव के साथ ही अपनी कविताओं के कारण जेल गए और आखिर में मारे गए अवतार सिंह 'पाश' याद नहीं आए.चित्तौड़ में मेरी मति के काम करने तक तो मेरे ध्यान में एक भी आयोजन इन चार शहीदों के हित नज़र नहीं आया.डॉ. योगेश व्यास की माने तो एक आंकड़े के अनुसार एक सौ छ: संस्थाएं नववर्ष आयोजन के कार्यक्रम कर रही है.

दो दिन पहले एक आयोजन में डॉ. ए.एल.जैन को भारतीय नव वर्ष परक विचार गोष्टी में भरपूर सुना.अधिवक्ता परिषद् की गोष्टी महेंद्र पोखरना और रजनीश पितलिया जैसे युवाओं ने आयोजित की.केशव माधव सभागार में  हुआ ये आयोजन हमारे घर निमंत्रण देने नहीं आया बल्कि हम तीनों रुचिवश ज़बरन वहाँ घुस गए,देखा तो पाया संख्या बल बढ़ाने में हम भी बहुत काम आए.मैं,कनक जैन भैया  और विकास अग्रवाल (तिकड़ी) ने पूरे आयोजन के दौरान और उसके बाद अपने चिर-परिचित अंदाज़ में आयोजन को टिका-टिप्पणियों से लपेटा.यहीं फिर से विज़न कोलेज के प्रो.विभोर पालीवाल,मनीष बाबू और उनके ही एक और साथी थे (माफ़ करें नाम याद नहीं रहा )की बनाई फिल्म देखी.बड़े उत्साही और लगनशील युवा है.हमें लगा जैन साहेब को उस दिन का मुख्य विचारक घोषित करने के बाद भी बोलने के हित समय कम दिया गया.साढ़े सात शुरू होने वाला आयोजन आठ बजे शुरू हुआ.एक ही विचार पर कई सारे वक्ता.सभी जानकार.क्यों न उन्हें एक-एक कर अलग-अलग अवसर पर सुना जाता.

अखबारों की तरह में भी हाज़री भर देता हूँ. इस आयोजन में और भी आदमी मौजूद थे.आई.एम्.सेठिया,विमला सेठिया,लक्ष्मी लाल पोखरना,आर.सी.डाड,भंवर लाल सिसोदिया,नवरत्न पटवारी,प्रदीप काबरा,डॉ.सुशीला लड्ढा,गंगाधर सोलंकी,भगवती बाबू इस तरह तमाम बूढ़े होने के करीब.ये वे नाम है जिन्हें मैं जानता हूँ.बाकी बहुत से रुचिशील उपस्थित थे माफ़ करें उनके नाम नहीं जानता.वैसे भी यहाँ अखबार में लोकप्रिय नाम ही छपते हैं.युवाओं  के नाम पर कम ही नज़र आए.रात सवा नौ ख़तम हुए इस आयोजन में मेरे साथ मेरी बेटी अनुष्का भी थी.

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