राजस्थान सरकार का आज आम बजट आना है.खुद से ज्यादा हमारे युवा बेरोजगारों के हित शुभ संकेतों का इंतज़ार है.चारों तरफ नवरात्रि का जोर है.तमाम होर्डिंग पर हाल शुरू हुए भारतीय नव वर्ष के विवरणों से भरे पड़े हैं.पूरे शहर में विवेकानंद के फोटो लगे हैं मानो विक्रम संवत नहीं होकर विवेकानंद संवत शुरू हुआ हो.कल से ही शहर के तीन बड़े बगीचों में गणगौर के महिला प्रधान आयोजन की धूम शुरू.इधर आज हमारे आकाशवाणी में हम सभी साथियो का नियुक्ति के बाद से अब दुबारा ऑडिशन होना है.इधर वेबप्रकाशन की आदत के चलते अपनी माटी वेबपत्रिका पर सुबह पल्लव की नई किताब 'कहानी में लोकतंत्र' की एक समीक्षा छापी.इस बहाने उस पुस्तक से रु-ब-रु हुआ.समीक्षा कनक भैया ने की थी. इसी के साथ एक और कनक जी की लिखी एक और समीक्षा छापी जो हमारे परिचित कथाकार स्वयं प्रकाश की पुस्तक 'हमसफ़र' की थी.मुझे लगता है कई बार ठीक से लिखी समीक्षाएं ही पुस्तक के प्रति एक उत्साह जगाती है.तमाम चीजे मुझे लगातार संवेदनशील बनाती है.इन सब में मेरी गैर व्यावसायिक दृष्टि मेरी हेल्प करते है.
26 मार्च, 2012
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