दो दिन की आबू रोड और मांउट आबू की यात्रा ने जीवन के बहुत से उतार चड़ाव दिखाए। बुजुर्ग दोस्तों के साथ से लेकर नव युवाओं के साथ का ये सफर बहुत रुचा।स्पिक मैके के पुराने चार अध्यक्ष हमारे सारथी थे। आनंदी लाल जैन, बंशीधर कुमावत, जय प्रकाश भटनागर और श्रीकांत शर्मा। अब तक शोर्ट नाम से जाने गए इन लोगों के साथ बहुत वक़्त बिताया है आज दिल हुआ की इन्हें इनके पूरे नाम से पुकारूं।अतीत को याद करने के सुख की तरह इस यात्रा में लालुराम सालवी और गोवेर्धन बंजारा का चलना कम सुख नहीं था।सभी के चहेते रमेश प्रजापत का अपनी चाय की दूकान छोड़कर चलना किसी बड़े त्याग से कम नहीं आंका जाना चाहिए। केलिबर अकादेमी की कविता आरोड़ा और उनके बच्चे की प्रतिभागिता ठीक रही। युवाओं की जमात के नाम पर रेशल,सचिन,सुमित,यश,नंदिनी पुराने चहरे शामिल थे। नए चेहरों के सूचि में आकाशवाणी से कोमल और सीमा जोशी थी तो इधर हिन्दी के शोधार्थी कानोड़ वासी कालू लाल कुलमी का स्पिक मैके में मंगल प्रवेश ही कहा जाएगा।
26 जुलाई, 2012
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