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31 दिसंबर, 2013

31-12-2013


  • सारंगी वादन की आवाज़ बढ़ा दो, हमारे एक और बड़े फनकार अभिनेता फारूख शैख़ नहीं रहे ( शबाना आज़मी जी के साथ किया जाने वाला उनका प्ले 'तुम्हारी अमृता' कभी स्पिक मैके के सौजन्य से जयपुर में देखा था)जब कुछ भी अच्छा नहीं लगता है तब सारंगी ही अच्छी लग सकती है(पंडित राम नारायण जी का सारंगी वादन सुन रहा हूँ.उन्हें सजीव रूप में सुनना बाकी रहे कामों की सूची में शामिल है )
  • 'संत' होने का एक सही अर्थ है एम् एस सुब्बुलक्ष्मी होना।इन्ही की गाई रचनाएँ सुनकर उनके 'ताप' को अनुभव करने की कोशिश कर रहा हूँ
  • एमए का एक पेपर देने के तुरंत बाद हल्की-फुल्की बात कहना चाहता हूँ कि 'हिंदी साहित्य' में से काव्य शास्त्र और भाषा विज्ञान सरीखे पेपर बाहर निकाल दें तो यह विषय सबसे ज्यादा सुविधाजनक हो जाएगा।
  • नेट का पेपर निपट गया.एमए के भी दो ही बाकी है.उदयपुर में मित्रों के साथ शिल्पग्राम मेले का आनंद छूट गया.इधर पत्नी का आकाशवाणी में एक इंटरव्यू है,बेटी और मेरी सर्दी की छुट्टियाँ ख़त्म होने वाली है.दिमाग में स्कूल में बनने वाला पोषाहार घूमने लगा है ,मित्र लोग पूर्वोत्तर भारत और एक अभिन्न मित्र दक्षिण भारत की यात्रा से लौट आये हैं.इस बार कहीं नहीं जा सकने से ईर्षा कायम है.दाढ़ी बढ़ने के बीच रोड़े आने के बावजूद उसका बढ़ना जारी है.महीनेभर पहले लाये शब्दकोश का उपयोग भी हो रहा है.मुहल्ले में नए साल का ढोल बज रहा है,कोहरा अब नहीं घेरता है,सर्द हवाएं अपने ठंडेपन के साथ कायम है.आज के लिए इतना ही.
  • एक पेपर और निपट गया,साल भी लगभग निपट ही रहा है,इधर एक चश्मा अपनी डंडी खो बैठा।एक रसोई को पाव भाजी नसीब हो गयी,एक शाम को सर्दी ने जकड़ रखा है,सिर पर गुलबंद,कनपट्टियाँ और कन्धों पर कम्बलें आ लिपटी है.स्कूलें खुलने से मना कर रही है.बच्चे छुट्टियों को छोड़ना नहीं चाहते हैं,मित्र लगातार छप रहे हैं मतलब ईर्षा है कि कायम है.सुना है कोई तारीख बदलने वाली है,मेरा प्रश्न वहीं अकड़ा रहा है कि ज़माना और लोगों की नियत भी बदलेंगी? या सिर्फ तारीख।पिताजी हर दूसरे दिन फोन करते हैं मतलब मैं हर दूसरे दिन झूठ बोलता हूँ, पहली खेप में बने उड़द का मोगर आधा सफाचट हो गया है.बदाम गलाने का काम आजकल बंद है,नल संध्याकाल में आने को राजी हो गए तभी से सुबह के सारे अलार्म बंद हैं.कल दो काम ज़रूरी है लोन की फ़ाइल लगानी है दूसरा दाढ़ी में शैम्पू।
  • सालभर की कुछ बड़ी विदारक घटनाओं को ध्यान में रखकर नववर्ष मनाना स्थगित।स्थगन पर आप भी सोचना चाहें तो अपनी स्मृतियों की टेप को रिवाइंड करिएगा।रिवाइंड बटन नहीं है तो एक बार 'शिविरों' में जाकर आ जाइएगा।जा नहीं सकते हैं तो रिकॉर्डिंग ही देख लें।

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