आज चित्तौड़ में बहुत सर्दी हे मैं सोच रहा था कि रास्ते में एक मकान के कारीगर लोग और मजदूर वहाँ कैसे सुबह ८ बजे से ही आ पहुचते हैं. वाकई मेहनतकश लोगों कि बात बहुत बड़ी है. सर्दी हो या गर्मी वे लोग बहुत मेहनती नज़र आते है. होते भी हैं.एक तरफ तो हम बेड टी लेते हैं. बहुत मुश्किल से उठाने पर उठते है उधर उन्हें पेट की भूख खुद ही उठा देती है. एक बात और कि मुझे हमेशा सोचने को कहती है कि बस स्टॉप पर बहुत सारे ऐसे लोगों कि भीड़ भी देखने को मिलती है जहां वे खड़े रहते हैं और कुछ लोग आकर वहां उन्हसे उस दिन के लिए मजूरी का मोल भाव करते हैं. ऐसे ही वे अपने लिए रोज़ कि मजूरी ढूंढ़ते हैं. बड़ा अजीब गरीब हैं भारत. बाकी बाद मैं. आपना ख्याल रखना
ठण्ड में ठिठुरते हुए.माणिक
सच है भाई पेट की भूख ठण्ड और गरमी नहीं देखती .. बहुत ही भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंMANIK JI MAZA AA GAYA AAP KA BLOG PAD KAR
जवाब देंहटाएंthand to schmuch bahut pdti hai chittor me ,kaam to karna hi pdta hai bhaai ,pet na hota to sbhi ghar pr masti marte najar na aate ?
जवाब देंहटाएंpr....kya jiwan thahar na jata ?
bahut smvedansheel ho tbhi unki halat pr yun.......