Loading...
04 जनवरी, 2010

मेरी पसंद कि एक पत्रिका

पाखी परिचयहिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, २००८ से नियमित जारी है। प्रवेशांक का लोकार्पण हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह ने किया। उस अवसर पर नामवर सिंह ने उम्मीद जताई थी कि 'पाखी' अपनी ही उड़ान भरेगी और यही हो रहा है। साहित्य की तमाम गिरोहबंदियों और महंत-मठ और मंडली से दूर पाखी अपनी अलग लीक बना रही है। साल भर के दौरान इसने हिन्दी साहित्य के दो महत्वपूर्ण रचनाकारों मंगलेश डबराल और संजीव पर विशेषांक निकले। अगला विशेषांक हमारे दौर के महत्वपूर्ण कवि आलोचक आलोक धन्वा पर प्रस्तावित है। इस दौरान अशोक वाजपेयी, अमर कांत, शेखर जोशी, राजेन्द्र यादव के साक्षात्कार प्रकाशित हुए। पीढ़ियां आमने-सामने में नामवर सिंह, शैलेय और चंदन पाण्डेय की बातचीत भी छपी। हर महीने निकलने वाली इस पत्रिका की पहुंच हिन्दी भाषी क्षेत्र के अलावा गैर हिन्दी प्रदेशों मसलन पूर्वोत्तर, गुजरात और महाराष्ट्र में भी है। सुधी पाठक कहते हैं कि पाखी हिन्दी प्रेमियों के लिए एक जरूरी पत्रिका बन गई है। हिन्दी साहित्य की परम्परागत अवधारणा से हटकर कुछ नया रचनात्मक करने के लिए पाखी प्रतिबद्ध है।

http://www.pakhi.in

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
TOP