अपनी माटी पर कविता प्रकाशन
पाठक और ब्लॉगर साथियों
नमस्कार,
पतझड़ जारी है,पूरा जेठ आषाड़ बाकी है,बरसाती मौसम भी आयेगा,मगर हाँ सावन की खुशबू भी महकेगी,इसी आलम में याद किया है आपको इस आयोजन के लिए जो आपके सहयोग से ऑनलाइन प्रकाशन का उत्सव बनेगा.आपको ये आमंत्रण भेजते हुए बहुत ख़ुशी है कि हम अपनी माटी ब्लॉग पर ''काव्योत्सव'' का आयोजन कर रहे है. हमने ब्लॉग्गिंग कि दुनिया में बहुत कम समय पहले ही कदम रखा था,मगर हमें बहुत अच्छा सहयोग मिला है. आपके साथ मिलकर ही हम अच्छी और श्रेष्ठ रचनाओं के प्रकाशन का ये जिम्मा ले रहे हैं.
आपसे निवेदन है कि यदि आप या आपके सपर्क में कोई कवितानुमा कुछ लिखते हैं,तो कृपया ये सूचना उन तक भी पहुंचाने का कष्ट करिएगा.
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हम रचनाएँ 25 मई 2010 तक स्वीकार करेंगे,सभी कवितायें रचानाकार की स्वयं की लिखी हो,इसका सत्यापन करके रचनाएँ हम तक भेजना होगा.कृपया कवितायें स्तरीय होने पर ही शामिल की जायेगी.रचनाएँ प्रकाशित और अप्रकाशित हो सकती है.साथ ही सभी प्रकार के अधिकार रचनाकार के स्वयं के होंगे. किसी भी प्रकार के विवाद की स्तिथि में रचनाओं में लिखे विचारों को लेकर रचनाकार ही स्वयं जिम्मेदार होंगे.
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रचनाओं का प्रकाशन 1 जून 2010 से अपनी माटी ब्लॉग पर नियमित रूप से रोजाना होगा.ये सिलसिला बरसात ऋतु के समापन तक चलेगा. सिलसिले की सीमा आप लोगों के द्वारा भेजी जाने वाले रचनाओं की संख्या पर भी निर्भर करेगी.. मगर हम आपसे बहुत आशा लगाए बैठे हैं.
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रचनाओं के विषय वैसे बांधे नहीं जा सकते हैं,फिर भी.कुछ निवेदित हैं
- प्रकृति
- बरसात
- सावन
- आषाड़
- धूप
- किसान
- विरह
- जनवाद
- दलित विमर्श
- अबला-सबला विमर्श
- समाजवाद
- विषम समाज
बाकी आपके विवेक पर निर्भर रहेगा.बस राजनैतिक रूप से विवादास्पद रचनाओं के चयन से हम बचेंगे.
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रचनाये हिंदी के किसी फॉण्ट में हों या फिर यूनिकोड में भी बदल कर भेज सकते हैं.रचनाएँ भेजने का ई-मेल पता है. manikspicmacay@gmail.com
रचनाओं के साथ रचनाकार के जीवन से जुड़ा संक्षिप्त परिचय और एक ठीक-ठाक फोटो भी भेजिएगा.
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आपकी रचानाओं का इन्तजार आरम्भ हो गया है.आपके सहयोग पर ही हमारा ये प्रयास आगे की गति के लिए प्रेरणा बनेगा.
भवदीय
सम्पादन मंडल के लिए
kitni rachnayein bheji ja sakti hain ..........ek se jyada bhi bheji ja sakti hain .
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