नौकरी में एक अधिकारी अपने साथी से हमेशा दोगली नीति अपनाते हुए बरताव करता है.उसका निजी चिड़चिड़ापन दूजों पर ढोलता है.कई मर्तबा अपने घर से बहुत दूर की नौकरी भी आदमी को ऐसा जुगाडू बना देती है कि वो कार्यालय दिवस में ही कोइ हसीन चेहरा कोंटेक्ट बेस पर रख अपनी आँखों को आराम देता है.गज़ब है ये दुनिया,बाहर से ठीक और अन्दर से गोलमाल दिखती है.सरकार या कोइ रोजगारप्रदाता लोगो का स्थांतरण उनके निवास से बहुत दूर करके इस समाज में बहुत से नए समीकरण तैयार करती है.इस सारे मज़में में अधिकारी के पीछे से बातें बेलते वे अधीनस्थ ज़रूर आनंद लेकर पूरा फ़ायदा उठाते हैं जो हमेशा जी हजुरी में अव्वल होते हैं.आओ जी हजुरी बन जाए फ़ायदा ही फायदा है.
20 दिसंबर, 2011
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