डॉ. सत्यनारायण व्यास अपनी लम्बी यात्रा के बाद दिल्ली से आज चित्तौड़ लौट आए.विश्व पुस्तक मेले के बहुत से अनुभव लेकर .सुबह साढ़े सात बजे ही फोन मिल गया.आशीर्वाद बरसाते हुए बोले कनक और तुम दोनों आ जाओ बहुत सी बातें करनी है.संभतया आज शाम ही उनसे मिलना होगा.कल शाम की रेडियो की ड्यूटी पर हमारे अधिकारी और कविता में रुचिशील योगेश कानवा जी के साथ बहुत बातें हुई वे भी व्यास जी के एकल काव्य पाठ को लकर चित्तौड़ में रहेंगे ये भी एक खबर है. हम लोग कोशिश करके व्यास जी की कविता और उनके चुटीली बातों के शौक़ीन तमाम लोगों को एक जगह लाने और उन्हें धाप कर सुनने का एक अवसर घड़ रहे थे. इसके अतिरेक और समारोहीकरण किये जाने को व्यास जी ने फोन पर खुद के लिए बहुत बड़ी बात बताया.वे कहने लगे कि लगे हाथ षष्टी पूर्ती का भी आयोजन हो जाए.आगामी दस अप्रेल को उनका जन्म दिवस है तब वे पूरे साठ साल के हो जायेंगे.मैं इस अवसर को उनकी दूसरी और ज्यादा महत्वपूर्ण पारी के रूप में देखता हूँ.जिन लोगों के घर के पते नहीं मालुम उन्हें अब फोन पर बुलाने का पक्का किया है.आयोजन में दो दिन शेष हैं.ये आयोजन बिना मुख्य अथिति और अध्यक्षता के होगा.शायद बिना फूल माला के भी हो जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.कोई दीप प्रज्ज्वलन नहीं.केवल कविता वो भी समय का सच घड़ती कविता.
02 मार्च, 2012
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