मार्च की पहली डायरी ,एकदम सुबह के थोड़ा बाद में ,स्कूल जाने से ठीक पहले,एक तरफ खाना ठंडा हो रहा है.पत्नी लगातार टोंक रही है.बेटी के साथ बीच बीच की व्यस्तता किसी प्यारभरे व्यवधान से कम नहीं है.हाल तो हम डॉ. सत्यनारायण व्यास के एकल काव्य पाठ के निमंत्रण पत्र बांटने में लगे हैं.स्थान जे.पी. भटनागर ने मुहैया कराया है. बेनर संभावना संस्था का है.कनक भैया सूत्रधार है. डॉ. राजेंद्र सिंघवी ने बहुत व्यस्तता के बीच भी व्यास जी की एक किताब पर समीक्षा बना ली है. आज ही शाम व्यास जी उनकी पत्नी और बेटी रेणु के साथ दिल्ली के विश्व पुसतक मेले से निकलेंगे.,दो मार्च की सुबह मेवाड़ ट्रेन से लौटेंगे.बनास जन पत्रिका का तीसरा अंक भी साथ ही लायेंगे.वैसे जिन्हें इस आयोजन का कार्ड दिया बहुत खुशी के साथ उत्सुक नज़र आए.वास्तव में ये आयोजन हमें एक अवसर की तरह दिख रहा था जहां हम व्यास को धाप कर सुन सकते थे.मीडिया के जानकार नटवर त्रिपाठी क्या,सेन्ट्रल अकादेमी के प्राचार्य और मेरे दोस्त अश्र्लेश दशोरा क्या हर आदमी इस संगोष्ठी को लेकर पर्याप्त रूप से पुलकित था.हम आयोजन के हॉल की सीमा को लेकर चिंतित थे.प्रेस विज्ञप्ति में लिखे पच्चीस पंक्तियों में से आज एक अखबार में पांच छपी.आप सभी को बधाई कि अब भी साहित्य जैसे विषय के लिए पांच पंक्तिया तो खाली मिली.
01 मार्च, 2012
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