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18 मार्च, 2012

18-03-2012

आज का दिन बहुत से मायने में ख़ास.चित्तौड़ में जोहर मेले का मुख्य आयोजन,हमारे साथी नितिन सुराणा का जन्मदिन,आकाशवाणी में दिनभर की ड्यूटी,रविवार के बावजूद गाँव नहीं जा पाने की मज़बूरी,राज्य के सी.एम्. का चित्तौड़ प्रवास,नन्हे बच्चों के हित अपना पहला रेडियो प्रोग्राम 'नन्ही दुनिया' निर्माण.शाम होते-होते नितिन,रमेश प्रजापत के साथ चाय-आलू टिकिया और फिर आखिर में कुल्फी का आनंद.गोलप्याऊ से होते हुए घर के लिए सब्जी-भाजी ले आम पति की तरह घर पहुँचा,जहाँ बेटी अनुष्का और पत्नी सबररहित हो इंतज़ार कर रही थी.

कल शाम एक घंटे तक गुरु राजेन्द्र सिंघवी के घर जमे रहा.बेटी अनुष्का  भी साथ थी.सिंघवी जी के ट्विनस  बच्चों के साथ रम गयी.तब तलक हम गप्प लड़ाते रहे.कुछ दिनों पहले नटवर त्रिपाठी जी के हित मोर पर काम को लेकर राजेन्द्र जी से चर्चा हुई.,हमने बातों के दौर में बहुतों को निबटाया.कई परिचित-कई अपरिचितों को भी आड़े हाथों लिया,मगर केवल बातों में.समय के कम पड़ जाने पर हम भी आम भारतीय की तरह बाहर फाटक तक आकर फिर अध् घंटे तक बतियाते रहे,इसी बीच मेरी पत्नी के चौथे फोन पर उसकी भन्नाट आवाज़ सुन घर का रास्ता नाप लेना ही मैंने समुचित समझा.इन दिनों मेरी यात्राओं के बहानों में आकाशवाणी के चेक अपने मित्रों तक देने जाने का काम भी शामिल था.वैसे भी बेकाम की यात्राएं अब इस भरी जवानी में कहाँ मुनासिब थी.

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