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14 अगस्त, 2012

14-08-2012


अब तक अबोधकी श्रेणीमें आतीसमझ केधीर-धीरेजवान होतेहुए आगेबढ़ते देखनाभी कितनासुखद पहलूहै.जीवनमें अपनेजानकार औरबिना सींगपूँछ केसाथियों केसाथ बचेहुए मगरनितांत ज़रूरीविषयों परविमर्श करनाऔर भीउत्साहवर्धक हो पड़ता है.जीवनमें अभिरुचियोंके हितवक़्त बचालेना औरउसे ठीकसमय परखर्च देनेकी समझ जानाभी किस्मतके हवालेहोता है.कई मर्तबाअच्छी संगतका मूल्यसमझे बिनाहम घोंचूकी तरहऊंघते रहतेहैं औरमौक़ा हाथसे रिपसजाता है.इसी मौहल्लेमें वेलोग भीदौड़ रहेहैं,जिन्हेंकोई जल्दीनहीं है.असल मेंवे वक़्तकी कीमतसमझ उसेमति सेवापरते हैं.उनके प्रभावमें आनेसे बिगड़नेका पूराखतरा है.

कभी यूं होताहै किकिसी जानकारका एकआग्रह हमेंकिसी ख़ासगहरी चीज़से वाकिफकरा देताहै.अच्छीसमझ पैदाकरती औरअन्दर तकअसर करतीहुयी ऐसीचीजें हीहम अपनोंसे साझाकरते हैं.दिनों तकवे चीजेंअपने प्रभावके साथहमारे मनमें कुचन्नियाँ  करती रहती है.नेक रास्तेपर अविरामचलने केलोभ मेंहम बहुतअज़ीज़ सीलगती शक्लोंके साथफुरसत ढूँढतेहैं.उनकेसाथ वीरानगीमें बतियानेके मौकेकी तलाशमें रहतेहैं.मौक़ाहमें किसीखजाने कोलूटने कीकीमत केबराबर लगताहै.एकऔर दीगरबात कियहाँ जबरुचियाँ हीमेल खाजाए तोअज़ीज़ केविपरीत लिंगीहोने यानहीं होनेके इतनेमायने नहींरह जाते.

बीते दौर केरचनाकारों से होकर गुज़रना अतीतमें जानेके लिएसबसे सहूलियतभरा लगताहै.इनदिनों मेंआकाशवाणी केमंच सेमुझे मिलेसाथियों केसाथ कावक़्त बहुतकुछ देरहा है.योगेश कानवाजी केसाथ उनकेजीवन अनुभवसुनना.उनकीगीतों भरीकहानियों केनिर्माण प्रक्रियासे झांकताहुआ अप्रत्यक्षप्रशिक्षण,प्रकाश खत्री जी सेमिली फिल्मरेनकोट,इजाज़तके ज़रियेरिश्तों मेंबचती संवेदनाएंसमझ आयी.पेट सेउपजते संगीतऔर असरकारकसंवादों कीगहरी साखमन मेंआशियाना बनातीहुयी अनुभवहुई.जुलाई में हमने मरी हुयी नदी, आओगे जन तुम साजना  के बाद इस महीने दीनू की डायरी  का रेडियो रूपांतरण किया.यादगार अनुभव। 

घरों से पारिवारिकजिम्मेदारियों की याद दिलाते हुएघनघनाते फोनकॉल्स कोउपेक्षित करहम दोआज कीशाम किलेपर जाटिके.रतनसिंह महलके ठीकबाहर हीबने तालाबकी किनोरपर बैठहमउम्र साथीभगवती लालसालवी सेबातें,अनुभवऔर सुख-दुःख कीसाझेदारी अपनेपन के हदतक लेगयी. .कभीकोलेज कीबातें,कभीउनके ज़बानसे मुस्करातेगीत,कभीआँखों मेंआती तैरतीहुए तालाबकी काई,कभी बीचबचाव खालीवक़्त देखतेही मेरीकवितायेँ कूदती रही. आदतवश कभीसेल फोनसे गातेहुए निकलपड़ते एस.डी. बर्मन,शमशाद बेगम,गीता दत्त,गुरु दत्त.हरियाली केनज़दीक दौलतगड़ते हुएये हैंआज अनुभव.

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