'बदलने की हद तक'
तुम कितना कुछ
बदल लेना चाहती हो
खुद को यकायक
बदल लेती हो
अपने रास्ते
इच्छाएं और संवाद
सिर्फ और सिर्फ
मेरे रास्तों की
सलामती की खातीर
तुम कितना
संभलकर बोलती हो
आज़कल
सोचती और दिखती हो
कितना संभलकर
जानता हूँ सबकुछ
सिर्फ बिना
रुकावट वाला
एक मुक़म्मल सफ़र
बुनने की खातीर
मेरे लिए
तुम कितनी
जगह पिघलती रही
सब जानता हूँ
मेरी उड़ान की खातीर
तुमने कितनी बार
अपने पर समेट लिए थे
तुम कितनी ही
बार अबोली हो
चली मेरे संग
दूर तक
मेरे एक तरफा
वक्तव्यों को सुनती हुयी
चुपचाप
सब जानता हूँ
मेरी तमन्नाओं के बाँध
पूरने को तुम्हारी नदी सी
इच्छाएं
कितनी बार रुक रुककर
बही है
सब जानता हूँ
कितने संकड़ाते हालातों से
लड़ी थी तुम
अथक
चली थी संग मेरे
बिना प्रतिरोध
और मैं निर्दयी
चौड़ाते हुए
खरच देता था
सारा वक़्त बेफिक्री में
सब जानता हूँ
तुम कितना कुछ
बदल लेना चाहती हो
खुद को यकायक
बदल लेती हो
अपने रास्ते
इच्छाएं और संवाद
सिर्फ और सिर्फ
मेरे रास्तों की
सलामती की खातीर
तुम कितना
संभलकर बोलती हो
आज़कल
सोचती और दिखती हो
कितना संभलकर
जानता हूँ सबकुछ
सिर्फ बिना
रुकावट वाला
एक मुक़म्मल सफ़र
बुनने की खातीर
मेरे लिए
तुम कितनी
जगह पिघलती रही
सब जानता हूँ
मेरी उड़ान की खातीर
तुमने कितनी बार
अपने पर समेट लिए थे
तुम कितनी ही
बार अबोली हो
चली मेरे संग
दूर तक
मेरे एक तरफा
वक्तव्यों को सुनती हुयी
चुपचाप
सब जानता हूँ
मेरी तमन्नाओं के बाँध
पूरने को तुम्हारी नदी सी
इच्छाएं
कितनी बार रुक रुककर
बही है
सब जानता हूँ
कितने संकड़ाते हालातों से
लड़ी थी तुम
अथक
चली थी संग मेरे
बिना प्रतिरोध
और मैं निर्दयी
चौड़ाते हुए
खरच देता था
सारा वक़्त बेफिक्री में
सब जानता हूँ
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