सुबह,एदकम सुबह,किसी को बस स्टॉप पर छोड़ने जाते वक्त देखा,आधी नींद में अपने शहर को पहली मर्तबा देखा,मैं और शहर दोनों हालके जागे हुए ही थे.सुबह के छ: बजे होंगे,रेलवे फाटक के आस-पास पूरी शान्ति,कोई आना-जाना नहीं,दोनों तरफ लगे होर्डिंग भी बिना ग्राहक और पाठक के शांत,एकदम शांत,ओवर बिज़ के बनने की प्रक्रिया में हमने बहुत से बड़े पेड़ खो दिए.सर्किट हाऊस के पास वाली गली में स्विमिंग पूल बन रहा है,अब मुझे मत पूछना यहाँ का भारी भरकम बरगद कहाँ चला गया.रोडवेज डिपो के ठीक सामने वाला पीपल का पेड़ चला गया,अब वहाँ रोड़ चौडाता दिखेगा,शिवलोक कोलोनी से आने वाली गली के मुहाने पर लगे पीपल के पेड़ सहित एक चाय की घुमटी भी हटा दी गयी.
19 फ़रवरी, 2012
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