सवेरे-सवेरे:-
जब घर के मकान बनाने के लिए पत्नी का लगातार दबाव बना रहता है तो तंगी की हालत में एक पाठक/लेखक का मन किसी भी चीज़ में नहीं लग सकता है. चाहे वो कविता,कहानी,लघु पत्रिका हो या कोई और शगल.यहाँ आकर सब फेल हैं.
जब घर के मकान बनाने के लिए पत्नी का लगातार दबाव बना रहता है तो तंगी की हालत में एक पाठक/लेखक का मन किसी भी चीज़ में नहीं लग सकता है. चाहे वो कविता,कहानी,लघु पत्रिका हो या कोई और शगल.यहाँ आकर सब फेल हैं.
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