जाने कैसी-कैसी खबरें आ रही हैं.अंधविश्वास विरोधी की हत्या और अंधे की तरह विश्वास व्यक्त करने का परिणाम बलात्कार। घोर कलियुग।लगभग अन्धेरा।इस देश को दकियानूसी ताकतों से बचाने के लिए बहुत से ज़रूरी कदमों में से एक हमारी शिक्षा-दीक्षा है.ए मेरे भोले भारतवासियों, ढ़ंग से पढ़ोगे और उससे भी आगे अपने शोषण से वाकिफ हो जाओगे या फिर सोचोगे तो समझ पाओगे कि 'बाबा संस्कृति' हमें कहाँ तक खुरच रही है।लगभग उपेक्षित मगर सबसे ज़रूरी तर्क और विज्ञान की पाठशाला, हमारे उदासीन समाज की ये गैर बराबरीप्रधान मानसिकता, आकर्षणों से लकदक ये दोगला बाज़ार और बेचारी यथार्थ की ज़मीन जैसी स्थितियों का अर्थ जाने ये देशवासी कब समझेंगे।ये 'हरियाले पेड़' कितने ज़हर से भरे हैं काश हम पाएँ।सोच पाएँ।
22 अगस्त, 2013
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