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28 जनवरी, 2014

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हड़माला के सत्ताईस बच्चे:सुनील है तभी से बकरियों में व्यस्त है जब से छोटा भाई हेमराज अपने बहिन के ससुराल चला गया.पैंतालीस दिन की अनुपस्थिति से कुछ दूर है.एक चम्पालाल है जिसे 'विनोद' कहो तो चहक उठता है.तीसरी मधु है जिसका घर स्कूल के ठीक सामने है हर दो कालांश बाद कब घर को थप्पी दे आती है पता तक नहीं चलता है.चौथी ममता है जिसकी छब्बीस जनवरी के लिए लाई गयी नयी-की-नयी ड्रेस उत्सव में पहनने के बाद मम्मी ने फिर से पेटी में रख दी है.ये ऊपर के चारों पांचवीं में पढने के नाम पर पोषाहार खाते हैं.सभी को मालुम है पास होते ही दूसरे स्कूल में जायेंगे.उन्हें ये भी मालुम है वहाँ भी पोषाहार है.कुछ ढंग के माड़साब है.कक्षा छ: है.छात्रवृति है.स्कूल की पैदल दूरी है.

चौथी में दो है.दोनों लड़कियां,दोनों डफर.दोनों बातूनी.दोनों चिड़चिड़ी.एक पूजा है जिसे साध पाना नौ दिन के व्रत रखने के बराबर का तप है.एक बेचारी सीधी है कंचन.बेवजह हंस देना उससे पूछे गए प्रश्न का उत्तर है.तीसरी में आठ बच्चे हैं.अंजली दिखने में छोटी है जब भी आती है सज-संवर कर आती है साथ में अपनी छुटकी बहन माया को लाती है.एक भारती है जिसके कान-नाक फोड़ा दिए है.उसकी एक भी बात उसके ननिहाल 'गंगापुर' के ज़िक्र के बगैर नहीं होती.एक शिवलाल है एकदम गोताखार लड़का.हर तीन दिन बाद एक दिन गायब रहता है.शांत मगर शातिराना रवैया अख्तियार करने में दो मिनट.तीसरे मिनट में तो उसकी फ्रीक्वेंसी देसी गालियों पर आ टिकती है.एक भेरी है जो अब ड्रॉपआउट की सूची की शान बढ़ा रही है.एक सुगणा है जिसे पढ़ने के नाम पर साँप सूंघ जाता है.ज्यादा किया तो चूंटी भरते ही दे धड़धड़ रो पड़ती है.एक चन्दा है जिसे हर सातवे दिन घर जाकर न्यौतना पड़ता है.है सीधी-सटक मगर घर से निकले तब ना.एक सुमन है जो बाकी तमाम लड़के-लड़कियों से दिखने में लम्बी और समझदार है.सुमन एकदम घरेलू अंदाज़ में स्कूल की देखभाल करती है.

दूसरी में भी एक से एक अजूबे.एक कन्हैया लाल है जिसे जब देखो नाक में आया सेबड़ा अवर कर रखता है.नाखून एकदम कोयले के इंजनछाप.एक सीमा है जो रोज स्कूल आती है.ननिहाल में ही रहती है.उसका घर ,स्कूल के ठीक पीछे ही है.छूट्टी के बाद भी स्कूल की तबीयत का ख़याल सीमा ही रखती है.रीना भी सीमा की पक्की वाली दोस्त है.पेन्सिल-रबर-शोपनर वाली दोस्ती से आगे.एक केसर है चम्पालाल की बहन.भोलेपन का मानक स्वरूप.एक मिनट लगातार देख लो रो पड़े.होमवर्क का शाब्दिक अर्थ उसके लिए वह नहीं है जो हम पढ़ाकू टाइप के लोग समझते हैं.एक गोरी है मा-अल्लाम लडकी.सभी शिकायतों में उसका अपराधलिप्त होना तय माना जाए ऐसे हालात है.पहली में चार चुज्जे टाइप के बच्चे हैं.सभी मस्त.सभी लाडले.निशा,फोकरू,संतरा और हीरालाल.एक से एक बढ़कर.क्या कहें.ये ही है ताज़ा तस्वीर हड़माला के सत्ताईस बच्चों की.

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