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16 सितंबर, 2018

इंटरनेशनल कोंफ्रेंस में पैनलिस्ट चुने गए बसेड़ा से माड़साब


बसेड़ा से माड़साब चुने गए इंटरनेशनल कोंफ्रेंस में पैनलिस्ट 
संस्कृतिकर्मी माणिक बंगलुरु में साझा करेंगे अपने नवाचार 
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चित्तौड़गढ़/प्रतापगढ़ 15 सितम्बर 2018

नमस्कार,साथियो,
राजस्थान चित्तौड़गढ़ जिले के प्रसिद्द संस्कृतिकर्मी माणिक अमरीका की इंटरनेशनल कंपनी ओमीदयार नेटवर्क के द्वारा आयोजित होने वाले इंटरनेशनल कोंफ्रेंस में बतौर पेनलिस्ट चुन लिए गए हैं। गुजरात की दीपिका लाल और फिर मुम्बई से श्वेता द्वारा ऑनलाइन इंटरव्यू के प्रोसेज से गुजरने के बाद माणिक के काम करने के तरीके और प्रोफाइल की बदौलत यह चयन हो सका। यह फेस्टिवल सताईस सितम्बर 2018 को बंगलुरु कर्नाटक में होगा जहां देशभर से चुने गए छह अन्य विशेषज्ञ भी अपने जीवन अनुभव साझा करेंगे। शिक्षा, समाज और संस्कृति के क्षेत्र में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए ग्रामीण परिदृश्य में काम करने के अपने दो दशक के अनुभव पर माणिक पैनल चर्चा में हिस्सेदारी करने जा रहे हैं। यह एक बड़ा फेस्टिवल है जिसमें होने वाले विचार और संवाद से आने वाले वक़्त में शिक्षक, शिक्षार्थियों की सुविधा हेतु कई सार्थक और उपयोगी एप्स विकसित किए जाएंगे साल में एक बार होने वाले इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में राजस्थान से पहली बार चयनित हो रहे किसी राजकीय अध्यापक के इस चयन पर बसेड़ा और शिक्षक वर्ग में खुशी व्याप्त है क्योंकि माणिक वर्तमान में प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी क्षेत्र में स्थित राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय बसेड़ा में हिंदी के व्याख्याता के तौर पर नियुक्त होकर लगातार नवाचार कर रहे हैं। 

सालों तक भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति के लिए आंदोलनरत माणिक ने बीत दो साल से अपने आपको शिक्षा में नवाचार और पढ़ने-लिखने की संस्कृति पर केन्द्रित किया है और यह मनोनयन इसी का परिणाम है। स्कूल के प्रधानाचार्य लादूराम शर्मा और राजनीति विज्ञान के व्याख्याता प्रभु दयाल कूड़ी ने बताया कि इस फेस्टिवल में बसेड़ा स्कूल में बीते डेढ़ वर्ष में सफलतापूर्वक किए जा रहे विभिन्न कार्य अब विश्व स्तर का मंच प्राप्त करेंगे। सन्डे लाइब्रेरी, म्यूजिक इन द स्कूल, टेंशन फ्री सेटरडे, मंडे स्पीच, बसेड़ा हिंदी क्लब, हेरिटेज क्लब ऑफ़ स्पिक मैके जैसे प्रमुख नवाचार अब दुनिया जान सकेगी। इंटरनेट की इसमें बड़ी भूमिका साबित हुई है चाहे फिर वो 'बसेड़ा की डायरी' के नाम से फेसबुक और ट्विटर सहित वाट्स एप पर उपस्थित की बात हो या फिर बसेड़ा स्कूल के ब्लॉग की चर्चा। एक स्कूल की तमाम गतिविधियाँ जिनके पर्याप्त प्रचार से यहाँ के अभिभावक और भामाशाह सहित शिक्षा विभाग के कई आला अफसर भी प्रसन्न हैं। स्कूल का नामांकन बढ़ा है और वातावरण में उल्लास और अनुशासन आया है। यह सबकुछ टीम भावना से संभव हो सका। बदलाव तो हुआ है और इसमें स्कूल के पूरे स्टाफ सहित विद्यार्थियों का सहयोग और उनका उत्साह मुख्य आधार है। सबसे ज्यादा आल्हादित अगर कोई है तो वे वर्तमान की कक्षा बारहवीं और बीते साल बारहवीं पास कर चुके विद्यार्थी हैं जिन्होंने ने माणिक का सानिध्य सीधे तौर पर अनुभव किया है

एक तरह से यह बड़ा काम आज जब विश्व मंच पर जा रहा है तो सभी को खुशी है। नवाचारों से कई अन्य प्रेरित शिक्षक भी अपने इलाके में अपने तरीके से नवाचार कर रहे हैं। अपनी माटी संस्थान के डॉ. राजेश चौधरी ने अनुसार माणिक अमेरिकी कम्पनी के खर्चे पर भाग लेंगे और इस कार्यक्रम में अपनी ग्रामीण पृष्ठभूमि के संघर्षपूर्ण जीवन से लेकर चित्तौड़गढ़ शहर में पिछले बीस वर्ष के दौरान विभिन्न अनौपचारिक मंचों के निर्माण और गतिविधियों के संचालन पर अनुभव साझा करेंगे साथ ही इन दो दशक में इंटरनेट के उपयोग द्वारा अपने काम के डिजटलीकरण करते हुए न्यू मीडिया के बेहतर उपयोग पर प्रकाश डालेंगे। कोंफ्रेंस में स्पिक मैके, चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसायटी, अपनी माटी, चित्तौड़गढ़ आर्ट सोसायटी, आरोहण बैंड, आकाशवाणी सहित आपसदारी आदि में माणिक की वोलंटियरशिप के कोंस्पेट पर भी चर्चा होगी। कोंफ्रेस में युवा और विद्यार्थी जीवन, इंटरनेट और शिक्षा, किताबें और पढ़ने की संस्कृति पर संवाद होगा इसी के तहत गाँव कनेक्शन नामक डिजिटल मीडिया द्वारा इन पर एक डॉक्युमेंट्री फ़िल्म का निर्माण किया जा रहा है जो फेस्टिवल में दिखाई जाएगी। डॉक्युमेंट्री निर्माण के वक़्त लगातार सहयोग दे रहे महेंद्र नंदकिशोर, सांवर, अभिनव दाधीच, रमेश शर्मा, अभिलाषा आंजना, बबलू धोबी, नंदिनी और अनुष्का ने भी माणिक के साथ संगत के अपने अनुभव साझा किए हैं। डॉक्युमेंट्री में माणिक से जुड़ाव वाले स्थलों में उनका अपना जन्म स्थान गाँव अरनोदा, कार्यस्थली बसेड़ा, दुर्ग चित्तौड़ और चित्तौड़ शहर ने बड़ा स्थान घेरा है। इस तरह बसेड़ा के हिंदी के माड़साब विश्व मंच पर अपने विचार साझा करके मेवाड़ का मान बढ़ाएंगे। इधर इस खबर से सभी मित्रों में प्रसन्नता है कि सहजता और सादगी से काम करते जाने के बाद एक दिन काम की पहचान होती है यही असली ईनाम माना जाना चाहिए


महेंद्र नंदकिशोर
स्पिक मैके, चित्तौड़गढ़
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लादूराम शर्मा
प्रधानाचार्य
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