इस तेज सर्दी में दिल कर रहा है कि मैं कुछ कोशिश करके अपने स्कूल या आस पास के गरीब बच्चों के लिए अपने घरों के पुराने बेकाम के कपड़ों को इकठा करके उनमे बाँट दिया जाएँ. सच बताएं रोज़ाना मुझे तो इस तरह के ही बच्चे मिलते हैं. ठिठुरते हुए ,और उन्हें देख कर बहुत दया आती है,साल २०१० में कुछ इसी तरह का नया लेकिन थोड़ा ज्यादा ज़रूरी लगने वाला ये काम करने का मन है.मेरे सभी पाठकों को भी मैं यही प्रार्थना करना चाहता हूँ किवे भी अपने एरिया में कुछ इस तरह का काम समय निकाल कर करें तो बहुत सुकून मिलेगा.
फिलहाल इतना ही.
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