रतन सिंह महल ,चित्तौडगढ दुर्ग का सबसे शांत और विरान भुगतने वाला महल है. इस महल तक कोई बिरला ही आता है. कमोबेस यहाँ के गाइड भी पर्यटक को यहाँ तक लाना बेगार समझते हैं,शायद.मैं अक्सर यहाँ चला जाता हु. शान्ति के कारण ये जगह मुझे लिखने पढ़ने के लिए सबसे ठीक जान पड़ता है. आज जी कर रहा था कहीं से केमरा उधार मांग कर लाऊँ ताकि कुछ छायाचित्र आपके हित साझा कर सकूं.आखिर कर आज ये काम पूरा करके जी बेहद खुश है.इस महल में आते आते मुझे बहुत लगाव हो गया है.अब दीवार,दरवाजें,खिड़कियाँ सब पहचाने से लगते हैं.रविवार को यहाँ किले की बस्ती के बच्चे शान्ति को तोड़ते है. वे क्रिकेट खेलने यहाँ आ पढ़ते हैं.कविता करने के लिए मुझे बहुत सी प्रेरणा मिलती है.यहाँ कुछ वक्त से मरम्मत का भी कार्य कर भी चल रहा है. कभी लगता है सरकार इन पत्थरों के लिए भी कुछ तो सोचती है मगर हम शर्मसार लोग बेशर्मों से खाते है कमाते है मगर बेजान चिजों में जी नहीं अटकाते हैंविचार तो बहुत से है मन में बाकी फिर कभी.....................
फिलहाल चित्रों का आनंद लिजिएगा.
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