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27 अप्रैल, 2012

26-04-2012

अपने काम के प्रति पर्याप्त सचेत और यथासमय/स्थिति के अनुसार खुद को ढ़ालने में महारथ हासिल व्यतित्व लगी गीता चंद्रन जी.ज़रूरी मेहनत और कौशल के साथ गुरु की तरह.............भले समय के साथ स्पिक मैके और इस आन्दोलन के स्वयं सेवक स्वभाव से कुछ बदले-बदले हो मगर कलाकार स्पिक मैके को आज भी उसी नज़र से देख रहे हैं.स्पिक मैके से मेरे सीधे जुडाव वाले दिन कल ताज़ा हुए............ऐसे दिन कभी-कभार ही आ पाते हैं.वैसे भी जीवन में सफ़र के साथ प्राथमिकताएं बदलनी होती है.

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