कई हाथों में इस बार
होक वाली चांदी या भोडर की राखियाँ
बंधी दिखेगी तुम्हे
रुँधे गले से रोएँगे
बहुत से जवान अंगोछे से पौंछकर आँसू बार-बार
लौटे जो नहीं है घरों को
महीनों से गायब
बुजुर्ग आदमी कई सारे
और कई उम्रदराज औरतें
उत्तराखंड त्रासदी के बाद
(हाल की लिखी एक मार्मिक कविता का अंश )
होक वाली चांदी या भोडर की राखियाँ
बंधी दिखेगी तुम्हे
रुँधे गले से रोएँगे
बहुत से जवान अंगोछे से पौंछकर आँसू बार-बार
लौटे जो नहीं है घरों को
महीनों से गायब
बुजुर्ग आदमी कई सारे
और कई उम्रदराज औरतें
उत्तराखंड त्रासदी के बाद
(हाल की लिखी एक मार्मिक कविता का अंश )
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