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19 अगस्त, 2012

19-08-2012

वायरल की चपेट में दिमाग में घूमता हुआ अस्पताल। अस्पताल में टकराते उदास चेहरे। सीरिंज ,बोतल और इंजेक्शन की भाषा के बीच रुक-रुक कर आती साँसे। दर्द के मारे कराहते कुल्हे। साता (कुशलक्षेम) पूछते पहचान के लोग। ठंडी आवाज़ के सहारे दूर के दोस्त और पास के साथी से गरमागरम गुफ्तगू। प्लेट में कटे पड़े सेव की फांके। मलेरिया की देर से ही सही हाथ में आयी नेगेटिव रिपोर्ट से पैदा हुयी तसल्ली। सारे ज़रूरी काम एक तरफ रख बिस्तर पर लेटने का सुख। गले में ख़राश का दिव्य अनुभव। पांच पर चलते पंखे के बीच भी पसीने के रेले से धुलता चेहरा। संयुक्त परिवार के फायदों और उसकी गुंजाईश पर मन में चलता दीर्घ विमर्श। लगातार घेरते सलाह-मशवरे। अतिरिक्त अपनेपन से ओतप्रोत घर के लोगों की नज़रें। 

बत्तीस की उम्र में ही आबिदा परवीन,पूरनचंद-प्यारे लाल वडाली ,कुमार गन्धर्व, के.एल.सेगल,भूपेन हजारिका और एस.डी. बर्मन को सुनने की आदत। बिना शास्त्रीय संगीत के ककहरे को जाने गायन-वादन और नर्तन का पक्का रसिक होने का नाटक। उससे से भी भारी कहीं-कहीं 'वाह', 'आह' और 'क्या बात है' कह देने की अदा।दिल को सुकून देती अदाकारी जिसमें असली उम्र से बहुत ज्यादा बुढाऊ उम्र का ढोंग रचने का तजुर्बा शामिल हैं। अतीत में से किसी अज़ीज़ को फोन मिलाकर बतियाने का क्षणिक सुख और उसी के बहाने  के.एल.सेगल जैसी पड़त (बहुत प्राचीन )आवाजें सुनने में खो जाना।

विदेश से कोई खबर नहीं। देश में आसाम में दंगों के बाद एस।एम्।एस। पर प्रतिबन्ध। राजस्थान में लगभग बाँध भरे और किसानों के कुए मूंह तक आये। नगर में कल छात्रसंघ चुनाव नतीजे तक पहुंचे। जीतने वालों के जुलूस में बजे मंदसौरी ढ़ोल के थपेड़ों और नाच-नारों के बीच परिणाम घूल गया। आकाशवाणी से सात दिन आराम। रूचि वाले काम में एक सप्ताह का खालीपन भी बहुत साल जाता है ना। कल ईद है। एक मित्र ने बताया मीठी है इस बार।ईद मुबारक।

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