- आम आदमी हमेशा 'फंसा' हुआ ही रहता है।चाहे वो उत्तराखंड हो या फिर बाकी भारत। सामान्य ज्ञान का नया प्रश्न:अब पता लगा हमारे देश में यातायात के सबसे कम साधन 'हेलीकोप्टर' है।
- सियासत और सियासत के चेहरे को देखते रहिये।ये परीक्षा की घड़ी है।चिंता मत करो सभी की परीक्षा इसी वक़्त होनी है।
- जिन परिवारों के लोग पहाड़ों में फंसे हुए हैं उनसे संपर्क भी हो गया है मगर अभी तक वे 'फंसे' हुए ही हैं तो उनके साथ ही उनके परिवारजन के साथ संवेदनाएं और शुभकामनाएं हैं।
- अच्छा हुआ हमने मित्रों के बहकावे में आकर 'चार धाम यात्रा' की रट नहीं लगाई।वरना अनिच्छापूर्वक की गयी जीवन की यही 'अंतिम यात्रा' हो जाती।'व्यवस्था' के भरोसे तो हमारे 'अंतिम संस्कार' तक की व्यवस्था नहीं हो पाती।
- वक़्त रहते नहीं संभले तो देश की उन 'आधी आबादी छाप' तमाम नदियों में बाढ़ आनी तय है।
- मुआफ़ करना मैं इस देश के किसी बड़े अरबपति नेता, खरबपति फ़िल्मी स्टार, लखपति बाबाजी, फ्लेट पति अभिनेत्री, लपड़ -चपड़बाज एंकर से प्रभावित नहीं हूँ।न किसी विज्ञापनबाज खिलाड़ी से।देश की इस विपत्ती की घड़ी में कितने गूंगे हो जाते हैं ये तमाम एकलखुरे लोग।अपने बेंक बेलेंस में जीरों लगाने में जुटे इन नामी पतियों को राष्ट्र हित में कुछ करने के संस्कार किसी ने सींचे ही नहीं शायद।सेना के उन जवानों को सलाम जो मरने से ना घबराकर उत्तराखंड में लोगों को जीवन दे रहे हैं।
- एक-एक बाढ़ हर गरीब-शोषित-परेशान-दबे-कुचले आदमी ने अपने भीतर रोक कर रख्खी हुयी है। सारे बन्दे सुअवसर की तलाश में हैं।
- 'नदी' को गूंगी,बहरी और नासमझ मानने की भूल मत करना।उसे अपने अस्तित्व और अधिकार क्षेत्र का पूरा ख़याल है।
- आदमी जात के तीन सौ चौसंठ दिन की उस घुसपैठ के बदले में बेचारगी झेलती 'प्रकृति' का एक दिन का आक्रमण सभी को अखर रहा है।'लाशों से लबरेज' इस बहाने 'आत्म मंथन' करने में कोई हर्ज़ नहीं है।हदें पार करती हमारी जीवन शैली को कभी तो मात खानी ही थी।
- दुःख की इस बड़ी खबर के बीच एक खबर ये भी कि हमारे साथी अशोक जमनानी को मध्य प्रदेश की 'सिंधी साहित्य अकादमी' द्वारा उनके पहले सिंधी कविता संग्रह 'अमृत वेलो' के लिए 'कृति सम्मान' दिए जाने की घोषणा। एक दु:खदसमाचार येहै किहमारे साथी नटवर त्रिपाठीजी केपिताजी कासुबह-सुबह देहावसान।एक सुखद खबर शाम होते होते कि चित्तौड़ दुर्ग अब विश्व विरासत सूचि में आ गया है।
21 जून, 2013
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