- हम भी आपस के बीच एक खुले लोकतंत्र के पक्षधर हैं जिसमें इतनी गुंजाईश तो रहनी ही चाहिए कि हम एक दूजे को सीधे कुछ कह सके.एक आदमी को तब सबसे ज्यादा पीड़ा होती जब उसे ग़लत समझा जाता है जबकि असल में वो ग़लत होता नहीं.'ग़लत होने के इल्ज़ाम' तो ज़बान से रिपस जाते हैं मगर एक आदमी अन्दर से कटना शुरू होता है.और जब वह आदमी सृजनधर्मी हो तो कटाव का नुकसान उस आदमी सहित पूरे समाज का भी होता है.
- एक संस्था महज केवल 'वैचारिक बयानबाजी' से आगे नहीं बढ़ती है.बहुत तामझाम रहते हैं.बस इस बात की हामी भरता हूँ कि आपका वैचारिक सही दिशा में होना चाहिए.
- एक अच्छे आयोजन के बाद सफलता की बधाइयां मिलती है फिर धीरे-धीरे शुरू होती है निंदा:कुशल आयोजक निंदा के लिए तैयार रहते हैं बधाइयों को हल्के में लेकर गफलत में नहीं पड़ते.
- राहत फ़तेह अली खान के सुपरहिट गीत सुनते हुए सन्डे की सुबह जिसमें पत्नी के कहे पर मेरे हाथ में चाकू है सामने थाली में दो प्याज है चारेक हरी मिर्चियाँ हैं,तीन टमाटर हैं कुछ मटर की फलियाँ हैं.मतलब अब आप समझ गए होंगे.जब मेरे दोनों हाथ सब्जी के लिए ज़रूरी यह पूर्व कार्य निबटा रहे थे तभी नंदिनी ने अपने हाथों से मुझे हलवा खिलाया.वो बहुत अच्छी पत्नी है.'नंदिनी मेरी पहली और आखिरी पसंद है ' (नोट-यह वाक्य अभिधा में नहीं है)
- चित्तौड़गढ़ में हमारे मित्रों के सहयोग से बनी 'अपनी माटी' ने अपने मिलने और चर्चा करने का एक नया आयोजन गड़ा है 'आंगन में कविता'. सभी को बधाई और पहले आयोजन के लिए शुभकामनाएं जहां अपनी माटी संस्थान के सदस्य अपनी पसंद के बड़े कवि की एक कविता का पाठ करेंगे.यह आयोजन दिन में एक से तीन बजे तक गांधी नगर स्थित विशाल अकादमी सीनियर सेकंडरी स्कूल में.चाय और नास्ता हमारे मित्र बंशीधर कुमावत जी की तरफ से.पता चला कि हम मित्रों की ज़ुबानों से अदम गोंडवी,नागार्जुन,त्रिलोचन,अष्टभुजा शुक्ल,पाश,निर्मला पुतुल,मुक्तिबोध की कविताएँ सुनने को मिलेंगी.
05 फ़रवरी, 2014
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