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17 मई, 2013

16-05-2013

दिनों बाद घर मेंशान्ति देखउस्ताद राशिदखान कागाया रागपुरिया सुनरहा हूँ।बंदिशहै ''मैंतो करआयी रंगरलियाँपिया संग''. मन मेंउत्साह इसबात काभी हैकि इसीमहीने कलकत्तामें राशिदखान साहेबको सुननेका मौक़ामिलेगा।यों तो बड़े बड़े फ़नकारवहाँ रहे हैं।मगरकुछ कोपहली मर्तबासुनूंगा औरदेखूंगा।जीवन में खुद के लिएसात दिननिकालने केलिए मेरीपूरी तैयारीहै।दस दिनतक मोबाइल,फोन,अखबार,टी वी,इंटरनेट सेमुक्ति।खुद में उतरने का सुनहराअवसर।कलकत्ता से लौटते में फिरबची हुयीऊर्जा केसाथ बनारसकी गलियोंऔर घाटोंमें घुमक्कड़ीके इरादेमन मेंहिलोर रहेहैं। अगलेदिन केसूरज उदयके बादसे लेकरनेक्स्ट बारहदिन केसूरज उदयदूसरे शहरोंमें होंगे।रविन्द्रनाथटेगौर कीधरती सेफिर कबीरकी काशीनाथसिंह कीधरती औरआखिर मेंमुद्ध कीधरती होतेहुए घरलौटेंगे। अनुभवके जीवंतरिपोर्ट लेकर।कुछ दिनोंके लिएअलविदा दोस्तों।मोबाइलपर मेसेजसे जुड़ेरह सकतेहैं।आश्रम लाईफ में कॉल उठापाना संभवनहीं होगा।अन्दर जानेके लिएबाहरी दुनियासे एककटाव। अगलेएक सालके लिएऊर्जा कमानेके भावसे स्फूर्तिइकठ्ठी करनेजा रहाहूँ।
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क्या आपने आसमानसे टूटेऔर नीचगिरते तारेकी मनुहारकरता आसमानदेखा है? और तोऔर तारेकी तरफसे प्रत्यूत्तरमें फिरआकाश मेंजा उसीपरिचित छातीसे चिपकतेदेखा है? आज मैंनेदेखा है।तारेको भी,आसमान कोभी औरचिपकने-सुबकनेको भी।(संवाद हरबीमारी काएक इलाजहो सकताहै।) जीवनके आसमानमें सालभरसे चिपकाथा एकमित्र तारा,आज अलगहो गया।इतनाभी सीधाकहाँ होताहै जीवन? हाल कीटेड़ बतारही हैइसका उतार-चढ़ाव।अफसोस,मेरीदो हथेलियोंको छोड़करएक भीनयी औरपरिचित हथेलीअब आंसुओंको नहींपोंछती है।इन तमाम उलझे हुए विचारों के बीच बड़ी बात है कि सांस इत्मीनान से आ-जा रही है।
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बीते दिनों के खाते मित्रों के घरों की दाल-रोटी लिखी। कनक जी के घर से शुरू ये रामलीला राजेन्द्र जी,कानवा जी ,रमेश भैया के यहाँ से होते हुए  में लगे हाथ राजेश जी के घर भी निबटा आये।पहली मर्तबा होटल के नाम खर्च में बेहद कमी आयी। इससे और कोई फायदा हो ना हो पत्नी की खुद पावे-क भर बढ़ ही जाएगा। एक  आदमी अब फक्र से मित्रों की गुण गा सकता है। एक मित्र,मित्रों के घर से निकली आत्मीयता में कुछ दिनों तक खो सकने की हिम्मत जुटा गया है। दिल खोल इंसानों के बीच रिश्तों के इम्तिहान में सभी दोस्तों के ठीक नंबर से पास की खुशी हैं। भोजन के बहाने लफ्फाजी और एक दुसरे की खींचातानी का आलम बड़ा उम्दा आनंद देता है। निंदा में खोये दोस्त कई बारे के चिल्लाने पर जगह छोड़ते हैं। या तो इसकी भाभी का फोन आयेगा या उसकी भाभी झन्नायेगी।
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इस बीच एक कहानी निबट गयी। स्कूल की क्लोजिंग हो गयी। एक आदमी देर रात तक सोने लग गया। एक घर में चूल्हा जलना भूल गया।एक आँगन में पौछा लगना वार-तेवार बात हो गयी।एक नए रूटीन ने घर में कब्जा जमा लिया।कूलर ने कम पानी के बीच चलने की आदत में खुद को ढाल लिया। एक टी वी चुप रहना सीख गया। इकलौती बाईक के किलोमीटर का काँटा फर्राटे से दौड़ रहा है। घर के हुकुम बदल गए हैं। छत की टंकी अब खाली नहीं होती। वाशिंग मशीन बेकाम के कारण बड़ी उदास है। इसी भगादौड़ी में तीन लोग निम्बाहेड़ा तक दौड़ आये।और तो और एक नास्तिक मंदिर के पाटोत्सव  की कमेंट्री में गज़ब ढ़ंग से आस्था लीप आया। नौकरी और पापी पेट के सवाल कुछ जटिल होते हैं। आदमी चलते रास्ते को छोड़ पगडंडियाँ तक अपना लेता है। बदलाव की इस घड़ी में एक लोकल बन्दा रोमिंग में जा बसा है।रोमिंग से एक फोन रोज आता है या फिर एक एसटीडी कॉल जाता है।बड़ा आश्चर्य! पीहर में बहन-बेटी का मन नहीं लग रहा। आदमी बेचारा जो कभी चाह कर भी अपने पीहर नहीं जा सकता है उसके साथ भी पूरी हमदर्दी है।सभी तरह की लपटों के बीच सुकून ढूंढता हुआ एक आदमी आशावादी है इससे बड़ी बात हो नहीं सकती है।
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यात्रा मतलब पेपर सॉप,छोटे साइज के शेम्पू पाउच, तेल शीशी,कांच-कंघा। रोज नहाने और दांत साफ़ करने की आदत पड़  गयी हो तो दातुन ब्रश, टूथपेस्ट, दोनों भांत के साबुन वगैरह। नेपकिन,छोटा चाकू, फ़र्स्ट एड बक्सा, ज़रूरी कपड़े, लूंगी, टावेल रखना नहीं भूलें। खानपीन के शौक़ीन नमकीन, बिस्किट, सकरपारे, चने जैसी चटकारे वाली चीजें साथ लें। आईडी-फाईडी प्रूफ, बटुआ, मोबाइल विद चार्जर, म्यूजिक सुनने के लिहाज से कान में डालने के टूंचक्ये, सफ़र के टिकट, सफ़र की जानकारी सब याद रखना पड़ेगा।हर यात्रा में हर बार।एक भी सामान चूके तो पोलियो हो सकता है।पाठक हित में जारी।
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