सन 2000 से अध्यापकी। 2002 से स्पिक मैके आन्दोलन में सक्रीय स्वयंसेवा। 2006 से ऑल इंडिया रेडियो,चित्तौड़गढ़ से अनौपचारिक जुड़ाव। 2...
थीम:'इन दिनों ज़िंदगी'
====================================== सन 2000 से अध्यापकी। 2002 से स्पिक मैके आन्दोलन में सक्रीय स्वयंसेवा। 2006 से ऑल इंडिया रेड...

21-12-2013
सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में 'अधपके लोग' जब खुद को 'पका' हुआ ही मान बैठे हों तो समझो उन 'अधपकों' को किसी का बाप भी ...
किले में कविता: न होकम रहे न दाता
न होकम रहे न दाता अब रखवाला कौन बदल गया है बहुत कुछ इधर बरसों में आया झांकने आज मौसम तक रुख बदलता आकर यहाँ हवा भी ठहरती है थोड़ा दिनभर ...

कविता:- पिताजी का मकान
पिताजी का मकान ------------ छूट्टी के बाद का बचपन बीत गया खेतों की मेढ़ पर दिशाहीन हो डोलते फिरने में कहाँ दिन गु...

कभी तो कबूलें हकीक़त
कभी तो कबूलें हकीक़त कभी तो फेंकें दूर झूंठ की चादर जी लें कुछ देर नाटकबाजी के विरह में सोच कुछ ऐसा ही मन में आज दी है बचपन को शक्ल ...

(लम्बी कविता)''बदल गया है वक़्त कितना''
(लम्बी कविता)''बदल गया है वक़्त कितना'' नैन बावरे,मन बावरा धड़कन जिसको भजती है रही तलाश में अबतक सालों से नज़र जिसके आता नही...